नाग अश्विन द्वारा निर्देशित प्रभास स्टारर "कल्कि 2898 एडी" (Kalki 2898 AD) एक साइंस फिक्शन फिल्म होगी जो इस साल 9 मई को रिलीज होगी। इस रविवार को जब फिल्म के एक किरदार का लुक रिवील किया गया तो तूफान मच गया। ये लुक था अश्वत्थामा (Ashwatthama) का जो रोल अमिताभ बच्चन निभा रहे हैं।

महानायक के इस लुक को देख लोग दंग रह गये और तब से ही इस बारे में जानने के लिये उत्सुक हैं कि अश्वत्थामा असल में कौन था। इससे पहले की हम आपको अश्वत्थामा(Ashwatthama) की पूरी कहानी बतायें,आइये पहले इस फिल्म के बारे कुछ जानकारी दे देते हैं।
यह अगले युग की शुरुआत का भी प्रतीक है, जिसे सतयुग कहा जाता है। सिर्फ भारतीय पौराणिक कथाओं में ही नहीं, कल्कि का उल्लेख बौद्ध और सिख ग्रंथों में भी किया गया है। ' Kalki 2898 AD' की पहली झलक में कहा गया है, 'जब दुनिया पर अंधकार छा जाएगा, तो एक शक्ति पैदा होगी। अंत अब शुरू होता है।
करीब 6000 साल पहले खत्म हुई "कल्कि 2898 एडी" की इस कहानी में प्रभास के अलावा दीपिका पादुकोण, कमल हासन, अमिताभ बच्चन, दिशा पटानी, पशुपति और अन्य उल्लेखनीय कलाकार शामिल हैं। फिल्म का संगीत संतोष नारायणन ने दिया है।
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इसे भारत की स्टार वार्स फिल्म भी कहा जा रहा है।एक साई-फाई फिल्म होने के बावजूद, कल्कि 2898 एडी का पौराणिक कथाओं से आश्चर्यजनक संबंध है। कल्कि विष्णु का अंतिम अवतार हैं। इस फिल्म का अनुमानित बजट 600 करोड़ रुपये है।
अश्वत्थामा का जन्म द्वापर युग में हुआ था। इनके पिता के नाम द्रोणाचार्य और माता का नाम कृपी था। द्रोणाचार्य को लम्बे समय तक कोई पुत्र प्राप्ति नहीं हुई तो वे भटकते भटकते हिमाचल की वादियों में पहुंच गए और वहां उन्होंने तपेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की भगवान् शिव से पुत्र रत्न प्राप्ति का वर प्राप्त किया। जिसके कुछ दिन बाद उनको एक पुत्र प्राप्त हुआ जिसने जन्म लेते ही अश्व की तरह गर्जना की और आकाशवाणी हुई की इसका नाम अश्वत्थामा होगा। अश्वत्थामा के जन्म के बाद द्रोणाचार्य बहुत गरीब हो गये। खाने-पीने को भी नहीं मिलता था। इसलिये द्रोणाचार्य हस्तिनापुर गये और वहां कौरवों और पांडवों को शास्त्र और शस्त्र विद्या सिखाई तथा इनके साथ ही अश्वत्थामा को भी पढ़ाया।
जन्म से ही अश्वत्थामा के माथे में एक अमूल्य मणि थी जो कि उन्हें दैत्य, दानव, शस्त्र, व्याधि, देवता, नाग आदि से निर्भय रखती थी। बुढ़ापे, भूख, प्यास और थकान से भी बचाती थी। भगवान शिव से प्राप्त उस शक्तिशाली दिव्य मणि ने अश्वत्थामा को अमर बना दिया था। महाभारत युद्ध के समय गुरु द्रोणाचार्य ने हस्तिनापुर (मेरठ) राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कौरवों का साथ देना उचित समझा। अश्वत्थामा भी अपने पिता की तरह शास्त्र व शस्त्र विद्या में निपुण थे। वे कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे। उन्होंने घटोत्कच पुत्र अंजनपर्वा का वध किया। उसके अतिरिक्त द्रुपदकुमार, शत्रुंजय, बलानीक, जयानीक, जयाश्व तथा राजा श्रुताहु का भी मारा। उन्होंने कुंतीभोज के दस पुत्रों का वध किया। पिता-पुत्र की जोड़ी ने महाभारत युद्ध में पाण्डव सेना को तितर-बितर कर दिया। पांडवों की सेना की पराजय देख़कर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को कूटनीति अपनाने का विमर्श दिया। इस योजना के अंतर्गत यह सबसे यह कहा गया कि " अश्वत्थामा" मारा गया है। दरअसल उन्होंने कहा "अश्वत्थामा वध कर दिया गया, परन्तु गज (हाथी) का"। जब उन्होंने गज कहा तभी श्रीकृष्ण ने शन्खनाद किया, जिसके शोर से गुरु द्रोणाचार्य अंतिम शब्द सुन ही नहीं पाए। अपने प्रिय पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनकर अपने शस्त्र त्याग दिये। गुरु द्रोणाचार्य की वध हो गया अश्वत्थामा ने अपने पिता के निर्मम वध का प्रतिशोध लेने के लिए पांडवों पर नारायणास्त्र का प्रयोग किया जिसके समक्ष समस्त पाण्डव सेना ने शस्त्र समर्पित कर दिए। फिर अश्वत्थामा ने द्युष्टद्युम्न का वध कर दिया।

महानायक के इस लुक को देख लोग दंग रह गये और तब से ही इस बारे में जानने के लिये उत्सुक हैं कि अश्वत्थामा असल में कौन था। इससे पहले की हम आपको अश्वत्थामा(Ashwatthama) की पूरी कहानी बतायें,आइये पहले इस फिल्म के बारे कुछ जानकारी दे देते हैं।
Kalki 2898 AD का क्या अर्थ है?
यह अगले युग की शुरुआत का भी प्रतीक है, जिसे सतयुग कहा जाता है। सिर्फ भारतीय पौराणिक कथाओं में ही नहीं, कल्कि का उल्लेख बौद्ध और सिख ग्रंथों में भी किया गया है। ' Kalki 2898 AD' की पहली झलक में कहा गया है, 'जब दुनिया पर अंधकार छा जाएगा, तो एक शक्ति पैदा होगी। अंत अब शुरू होता है।
करीब 6000 साल पहले खत्म हुई "कल्कि 2898 एडी" की इस कहानी में प्रभास के अलावा दीपिका पादुकोण, कमल हासन, अमिताभ बच्चन, दिशा पटानी, पशुपति और अन्य उल्लेखनीय कलाकार शामिल हैं। फिल्म का संगीत संतोष नारायणन ने दिया है।
यह भी पढ़ें -महाशिवरात्रि पर Kannappa का फर्स्ट लुक, अद्भुत है इस फिल्म की कहानी
इसे भारत की स्टार वार्स फिल्म भी कहा जा रहा है।एक साई-फाई फिल्म होने के बावजूद, कल्कि 2898 एडी का पौराणिक कथाओं से आश्चर्यजनक संबंध है। कल्कि विष्णु का अंतिम अवतार हैं। इस फिल्म का अनुमानित बजट 600 करोड़ रुपये है।
अश्वत्थामा (Ashwatthama) की पूरी कहानी
अश्वत्थामा का जन्म द्वापर युग में हुआ था। इनके पिता के नाम द्रोणाचार्य और माता का नाम कृपी था। द्रोणाचार्य को लम्बे समय तक कोई पुत्र प्राप्ति नहीं हुई तो वे भटकते भटकते हिमाचल की वादियों में पहुंच गए और वहां उन्होंने तपेश्वर महादेव की पूजा अर्चना की भगवान् शिव से पुत्र रत्न प्राप्ति का वर प्राप्त किया। जिसके कुछ दिन बाद उनको एक पुत्र प्राप्त हुआ जिसने जन्म लेते ही अश्व की तरह गर्जना की और आकाशवाणी हुई की इसका नाम अश्वत्थामा होगा। अश्वत्थामा के जन्म के बाद द्रोणाचार्य बहुत गरीब हो गये। खाने-पीने को भी नहीं मिलता था। इसलिये द्रोणाचार्य हस्तिनापुर गये और वहां कौरवों और पांडवों को शास्त्र और शस्त्र विद्या सिखाई तथा इनके साथ ही अश्वत्थामा को भी पढ़ाया।
जन्म से ही अश्वत्थामा के माथे में एक अमूल्य मणि थी जो कि उन्हें दैत्य, दानव, शस्त्र, व्याधि, देवता, नाग आदि से निर्भय रखती थी। बुढ़ापे, भूख, प्यास और थकान से भी बचाती थी। भगवान शिव से प्राप्त उस शक्तिशाली दिव्य मणि ने अश्वत्थामा को अमर बना दिया था। महाभारत युद्ध के समय गुरु द्रोणाचार्य ने हस्तिनापुर (मेरठ) राज्य के प्रति निष्ठा होने के कारण कौरवों का साथ देना उचित समझा। अश्वत्थामा भी अपने पिता की तरह शास्त्र व शस्त्र विद्या में निपुण थे। वे कौरव-पक्ष के एक सेनापति थे। उन्होंने घटोत्कच पुत्र अंजनपर्वा का वध किया। उसके अतिरिक्त द्रुपदकुमार, शत्रुंजय, बलानीक, जयानीक, जयाश्व तथा राजा श्रुताहु का भी मारा। उन्होंने कुंतीभोज के दस पुत्रों का वध किया। पिता-पुत्र की जोड़ी ने महाभारत युद्ध में पाण्डव सेना को तितर-बितर कर दिया। पांडवों की सेना की पराजय देख़कर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को कूटनीति अपनाने का विमर्श दिया। इस योजना के अंतर्गत यह सबसे यह कहा गया कि " अश्वत्थामा" मारा गया है। दरअसल उन्होंने कहा "अश्वत्थामा वध कर दिया गया, परन्तु गज (हाथी) का"। जब उन्होंने गज कहा तभी श्रीकृष्ण ने शन्खनाद किया, जिसके शोर से गुरु द्रोणाचार्य अंतिम शब्द सुन ही नहीं पाए। अपने प्रिय पुत्र की मृत्यु का समाचार सुनकर अपने शस्त्र त्याग दिये। गुरु द्रोणाचार्य की वध हो गया अश्वत्थामा ने अपने पिता के निर्मम वध का प्रतिशोध लेने के लिए पांडवों पर नारायणास्त्र का प्रयोग किया जिसके समक्ष समस्त पाण्डव सेना ने शस्त्र समर्पित कर दिए। फिर अश्वत्थामा ने द्युष्टद्युम्न का वध कर दिया।
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अश्वत्थामा को भगवान शिव के एक उग्र और डरावने रुद्र रूप का भी सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने निडर होकर अपनी भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न किया। उसकी भक्ति से प्रभावित होकर भगवान शिव अपने असली रूप में प्रकट हुए और उसे एक शक्तिशाली दिव्य तलवार प्रदान की।
माना जाता है कि कृपाचार्य अकेले ही एक समय में 60,000 योद्धाओं का मुकाबला कर सकते थे लेकिन उनके भांजे (कृपाचार्य की बहन कृपी अश्वत्थामा की बहन थी) अश्वत्थामा में इतना सामर्थ्य था कि वह एक समय में 72,000 योद्धाओं को अकेले मार सकता थे।
लोग कहते हैं कि अश्वत्थामा आज भी जिंदा है और मध्य प्रदेश में असीरगढ के जंगलों में दिखा है। एक संत, जिन्हें दत्तात्रेय का अवतार माना जाता है, ने वर्ष 1912 में कटारखेड़ा के पास शुल्पनीश्वर के घने जंगल में अश्वत्थामा को देखा था । तेम्बे स्वामी घने जंगल में खो गए और शहर तक पहुंचने में असमर्थ रहे।
अश्वत्थामा को भगवान शिव के एक उग्र और डरावने रुद्र रूप का भी सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने निडर होकर अपनी भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न किया। उसकी भक्ति से प्रभावित होकर भगवान शिव अपने असली रूप में प्रकट हुए और उसे एक शक्तिशाली दिव्य तलवार प्रदान की।
श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा के पतित कर्मों के कारण ही अश्वत्थामा को ३००० वर्षों तक यह शाप दिया था। स्कंद पुराण के अनुसार बाद में ऋषि वेद व्यास की सलाह पर अश्वत्थामा ने कई वर्षों तक भगवान शिव की कठोर तपस्या की और उनकी भक्ति से प्रभावित होकर अंततः भगवान शिव ने अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण के श्राप से मुक्त कर दिया। अश्वत्थामा भगवान शिव के आशीर्वाद से अमर हो गए थे।
अश्वत्थामा की आयु कितनी है?
कहते हैं कि अश्वत्थामा 5,200 वर्ष के हैं। कलियुग की शुरुआत से उनकी अनुमानित आयु: 3102 ईसा पूर्व है। वे कुरूक्षेत्र युद्ध में 78 वर्ष के थे। हिंदू परंपरा में 8 लोग अमर (चिरंजीवी) हैं; अश्वत्थामा, बाली, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कंडेय।अश्वत्थामा कितना शक्तिशाली है?
माना जाता है कि कृपाचार्य अकेले ही एक समय में 60,000 योद्धाओं का मुकाबला कर सकते थे लेकिन उनके भांजे (कृपाचार्य की बहन कृपी अश्वत्थामा की बहन थी) अश्वत्थामा में इतना सामर्थ्य था कि वह एक समय में 72,000 योद्धाओं को अकेले मार सकता थे।
क्या आज भी अश्वत्थामा जिंदा है?
लोग कहते हैं कि अश्वत्थामा आज भी जिंदा है और मध्य प्रदेश में असीरगढ के जंगलों में दिखा है। एक संत, जिन्हें दत्तात्रेय का अवतार माना जाता है, ने वर्ष 1912 में कटारखेड़ा के पास शुल्पनीश्वर के घने जंगल में अश्वत्थामा को देखा था । तेम्बे स्वामी घने जंगल में खो गए और शहर तक पहुंचने में असमर्थ रहे।
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