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Deepfake: आखिर कब रूकेगा ये खतरनाक खेल

Deepfake का वायरस दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है। कोरोना की तरह एक एक हस्तियां इसकी चपेट में आती जा रही हैं। अनगिनत लोग इसका शिकार हो चुके हैं। इंडियन सेलेब्स तो खासकर इसके निशाने पर हैं। कई अभिनेत्रियां तो इस डराने वाले तकनीकी खेल का सामना कर चुकी हैं और उसमें एक और नाम आलिया भट्ट (Alia Bhatt) का भी शामिल हो गया है।

Deepfake

    Deepfake के शिकार

    Deepfake का ताजा शिकार जानी मानी अभिनेत्री, महेश भट्ट की बेटी और रणबीर कपूर की बीवी आलिया भट्ट हैं। इस लिस्ट में रश्मिका मंदाना, कैटरीना कैफ, काजोल, सारा तेंदुलकर और उद्योगपति रतन टाटा सहित कई नाम पहले ही शामिल हैं। Deepfake लगातार बढ़ रहा है। लोगों को सच और झूठ के बीच का फर्क करने में बहुत सावधान होना पड़ रहा है लेकिन जरा उन लोगों का सोचिये जो एक तकनीक की मदद से उनकी छवि को बर्बाद कर देने के इस खेल के आगे बेबस हैं।


    इंटरनेट पर वायरल हो रहे नवीनतम डीप-फेक वीडियो में एक लड़की है जो आलिया भट्ट जैसी दिखती है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा जो चिंता बढ़ा रहा है। वीडियो में एक लड़की को नीले फूलों वाला को-ऑर्ड सेट पहने और कैमरे की ओर अश्लील इशारे करते हुए दिखाया गया है। हालांकि, ध्यान से देखने पर कोई भी बता सकता है कि वीडियो में दिख रही लड़की आलिया नहीं है। आलिया के चेहरे को किसी और को एडिट कर लगाया गया है।

    यह प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग और डिजिटल रूप से कमजोर युग में व्यक्तियों को होने वाले संभावित नुकसान का ताजा नमूना है।



    कई हस्तियां हो चुकी हैं Deepfake का शिकार


    इससे पहले, अभिनेत्री रश्मिका मंदाना ने अभिनेत्री का एक डीपफेक वीडियो इंटरनेट पर सामने आने और वायरल होने के बाद अपनी चिंता व्यक्त की थी। इस साउथ सुपरस्टार ने Deepfake को डरावना बताया था।

    रश्मिका के डीपफेक वीडियो के कुछ दिनों बाद, बॉलीवुड अभिनेता काजोल का एक और नया डिजिटल रूप से परिवर्तित वीडियो इंटरनेट पर सामने आया था। क्लिप में एक महिला अपने शरीर पर काजोल का चेहरा बनाकर कैमरे पर कपड़े बदलती नजर आ रही है। हालाँकि वीडियो वास्तव में एक अंग्रेजी सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर का था, जिसने मूल रूप से 'गेट रेडी विद मी' ट्रेंड के हिस्से के रूप में टिकटॉक पर क्लिप पोस्ट किया था।


    कैटरीना कैफ की डिजिटल रूप से बदली हुई छवि ऑनलाइन सामने आई थी जबकि मूल तस्वीर में बॉलीवुड स्टार को तौलिया पहने एक स्टंटवुमन से लड़ते हुए दिखाया गया था, संपादित संस्करण में उन्हें तौलिया के बजाय एक लो-कट सफेद टॉप और मैचिंग बॉटम पहने दिखाया गया था।

    सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर और क्रिकेटर शुभमन गिल डीपफेक टेक्नोलॉजी का शिकार हो चुके हैं। कुछ महीने पहले सारा ने अपने भाई अर्जुन तेंदुलकर के जन्मदिन पर उनके साथ इंस्टाग्राम पर एक तस्वीर पोस्ट की थी. डीपफेक के जरिये अर्जुन के चेहरे की जगह शुभमन गिल का चेहरा लगा दिया और तस्वीर कुछ ही घंटों में वायरल हो गई।

    भारत सरकार इसको लेकर बेहद गंभीर हो चुकी है और कड़ी कार्रवाई का मन बना चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा है कि Deepfake बहुत बड़ी चुनौती है और लोगों को AI के साथ Deepfake के बारे में भी शिक्षित करने की जरूरत है। इसके दुरूपयोग के खिलाफ सख्ती से निपटने की जरूरत है।


    बहुत खतरनाक है Deepfake

    Deepfake तकनीक एआई के लगातार विकसित हो रहे क्षेत्र के निगेटिव पहलुओं में से एक है। यह तकनीक साइबर अपराधियों को न केवल किसी और की नकल करने के लिए अपनी आवाज बदलने में सक्षम बनाती है, बल्कि उन्हें वास्तविक दिखाने के लिए वीडियो में हेरफेर भी कर देती है। Deepfake एक प्रकार का सिंथेटिक मीडिया है जिसमें एआई का उपयोग करके मौजूदा इमेज या वीडियो में एक व्यक्ति को किसी और की इमेज से बदल दिया जाता है। डीपफेक धोखा देने की उच्च क्षमता वाले दृश्य और ऑडियो कंटेंट में हेरफेर करने या उत्पन्न करने के लिए मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी शक्तिशाली तकनीकों का लाभ उठाता है।

    डीपफेक की पहचान अक्सर अप्राकृतिक चेहरे के भावों या हरकतों से की जा सकती है, जैसे बहुत बार या पर्याप्त रूप से पलकें झपकाना या बहुत सख्त या झटकेदार हरकतें। आंखें इस बात का अच्छा संकेतक हैं कि कोई वीडियो असली है या नकली। डीपफेक में अक्सर धुंधली या फोकसहीन आंखें होती हैं, या ऐसी आंखें जो व्यक्ति के सिर की गतिविधियों से मेल नहीं खातीं।

    कड़ी कार्रवाई होगी क्या

    पिछले दिनों 'डीपफेक' वीडियो के लगातार बढ़ रहे प्रकोप के बाद केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा था कि गलत सूचनाओं के इन खतरनाक और हानिकारक तरीकों से सोशल मीडिया के प्लेटफार्मों को सख्ती से निपटने की जरूरत है। यह प्लेटफ़ॉर्म के लिए एक कानूनी दायित्व है: सुनिश्चित करें कि किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा कोई गलत सूचना पोस्ट न की जाए और यह सुनिश्चित करें कि जब किसी उपयोगकर्ता या सरकार द्वारा रिपोर्ट की जाए, तो गलत सूचना को 36 घंटों में हटा दिया जाए। यदि प्लेटफ़ॉर्म इसका अनुपालन नहीं करते हैं, तो नियम 7 लागू होगा और आईपीसी के प्रावधानों के तहत पीड़ित व्यक्ति द्वारा प्लेटफ़ॉर्म को अदालत में ले जाया जा सकता है।

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