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world post day 2023: जानिये दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित पोस्ट ऑफिस का पिन कोड

विश्व डाक दिवस 2023 (world post day 2023) भारत की समृद्ध डाक विरासत और आधुनिक युग में अब भी इसके महत्व को लेकर बहुत महत्वपूर्ण माना जा सकता है, ऐसे में डिजिटल युग में, जहां ईमेल, सोशल मीडिया और इंस्टेंट मैसेजिंग हमारे दैनिक संचार पर हावी हैं, पारंपरिक मेल सेवाओं का महत्व कम हो चुका है।


इस समय 1.5 लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस देश के कोने-कोने में फैले हैं और इंटरनेट और ई-मेल के जमाने में भी भारत में डाक विभाग में नौकरियों को लेकर काफी रूझान है। भारत की डाक प्रणाली की कहानी प्राचीन काल से चली आ रही है जब संदेश कोरियर, कबूतर और पैदल दूतों के माध्यम से पहुंचाए जाते थे। हालाँकि, भारत में डाक सेवाओं की औपचारिकता मुगल काल के दौरान शुरू हुई जब सम्राट अकबर ने अपने विशाल साम्राज्य में कुशल संचार सुनिश्चित करने के लिए घोड़े पर सवार कोरियर के लिए एक प्रणाली "डाक चौकी" की शुरुआत की।





    ईस्ट इंडिया कंपनी और डाक सेवाएँ


    17वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन के साथ, भारत की डाक सेवाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। अंग्रेजों ने डाक टिकटों की अवधारणा पेश की और डाकघरों का एक नेटवर्क स्थापित किया, जिससे देश के भीतर संचार और व्यापार को और बढ़ाया गया।



    आधुनिकीकरण एवं विस्तार

    21वीं सदी में तेजी से आगे बढ़ते हुए, और भारत की डाक प्रणाली डिजिटल क्रांति के साथ तालमेल बिठाने के लिए नाटकीय रूप से विकसित हुई है। यहां कुछ प्रमुख विकास हैं जो भारतीय डाक के लचीलेपन और अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित करते हैं:



    डिजिटल सेवाएँ


    स्मार्टफोन और ऑनलाइन लेनदेन के युग में, इंडिया पोस्ट ने डिजिटल परिवर्तन को अपनाया है। यह ई-पोस्ट, इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रांसफर और मोबाइल बैंकिंग सहित विभिन्न ई-कॉमर्स और वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है। इन पहलों से न केवल दक्षता में सुधार हुआ है बल्कि डाक सेवाओं का दायरा भी व्यापक हुआ है।



    डाक टिकट संग्रह और स्मारक टिकटें

    इंडिया पोस्ट के पास देश भर में संग्रहकर्ताओं और उत्साही लोगों के साथ एक जीवंत डाक टिकट संग्रह समुदाय है। विश्व डाक दिवस मनाने के लिए, डाक विभाग अक्सर प्रतिष्ठित हस्तियों, ऐतिहासिक घटनाओं और सांस्कृतिक प्रतीकों वाले विशेष स्मारक टिकट जारी करता है। ये टिकट न केवल संग्रहकर्ता की वस्तुएं हैं बल्कि भारत की विविध विरासत का प्रतिबिंब भी हैं।



    भारत में विश्व डाक दिवस समारोह


    विश्व डाक दिवस भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है। डाकघर समाज में अपने योगदान को प्रदर्शित करने के लिए कार्यक्रम, प्रदर्शनियाँ और डाक टिकट मेलों का आयोजन करते हैं। यह डाक विभाग के लिए जनता से जुड़ने और संचार, व्यापार और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में अपनी भूमिका को उजागर करने का एक अवसर है। इस साल की थीम Together for Trust: Collaborating for a safe and connected future रखी गई है।



    भारत का पहला पोस्ट ऑफिस


    भारत में डाक विभाग की शुरुआत 18 वीं सदी से पहले हुई. भारत में पहला पोस्ट ऑफिस कोलकाता में 1774 में खोला वारेन हेस्टिंग्स द्वारा गया था जहां जीपीओ की स्थापना हुई और रेल डाक सेवा और भारत से ब्रिटेन और चीन के लिए समुद्री डाक सेवा शुरू की गई। दुनिया का सबसे बड़ा पोस्टल नेटवर्क भारत में ही है।

    साल 1852 में भारत में पहली बार पत्र पर डाक टिकट लगाये जाने लगे और 1986 में स्पीड पोस्ट शुरू हुआ। साल 1947 तक देश में 23,344 डाकघर थे। दुनिया का सबसे ऊंचा पोस्ट ऑफिस हिमाचल प्रदेश में है जो लाहौल स्पीति जिले के हिक्किम नाम के गांग में है. इसका 172114 पिन कोड है।इस डाकघर की ऊंचाई समुद्र तल से 14 हजार 567 फीट है। 1983 से चल रहा यह पोस्ट ऑफिस  लैटर बाक्स आकार का है। मजे की बात है कि यहां रहने वाले लोग इस डाकघर से चिट्ठी नहीं भेजते, यहां घूमने आने वाले पर्यटक इस पोस्ट ऑफिस से हर दिन 300 से 400 लेटर पोस्ट करते हैं। 

    दुनिया का पहला पोस्ट ऑफिस


    विश्व डाक दिवस 2023 (world post day 2023) 9 अक्टूबर को मनाया जाता है। साल 1874 में इसी दिन स्विट्जरलैंड की कैपिटल बर्न में 22 देशों की साझेदारी से यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन हुआ था। टोक्यो में इस दिन को ‘वर्ल्ड पोस्ट डे’ मनाए जाने की घोषणा की गई। दुनिया का पहला डाक-टिकट ब्रिटेन का ही 'पेन्नी ब्लैक' था। साल 1842 में पोलैंड ने सार्वजनिक पोस्ट बॉक्स की शुरुआत की।





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