साल के आखिरी चंद्रग्रहण Chandra Grahan 2023 का सूतक काल शुरू हो चुका है और अब से कुछ घंटों बाद चंद्रग्रहण शुरू हो जायेगा। चंद्रग्रहण के दौरान और सूतक काल में कुछ भी खाना-पीना वर्जित माना गया है। लेकिन बहुत से लोग सोचते हैं कि उनके किचन में बहुत सी ऐसी खाने-पीने की चीजें हैं जिसे फेंका नहीं जा सकता। तो इसके लिये तुलसी को पवित्र माना गया है। ऐसा क्यों है और इसका उपयोग कब करना है आइये बताते हैं।
इस साल का आखिरी चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात 12 बजे को पार कर 29 अक्टूबर को तिथि पर रात 01 बजकर 06 मिनट पर शुरू होने वाला है और 1 घंटे 16 मिनट तक ग्रहण लगने के बाद 02 बजकर 22 मिनट पर खत्म हो जायेगा। इसका सूतक काल शुरू हो चुका है जो चंद्रग्रहण के खत्म होने के बाद ही समाप्त होगा।
Chandra Grahan 2023 में तुलसी क्यों है खास ?
सूतक काल से लेकर ग्रहण तक के समय को दूषित काल माना जाता है क्योंकि इस दौरान वातावरण में कई नकारात्मक तत्व होते हैं जिनका शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके लिये सदियों से एक उपाय को सर्वमान्य माना जाता है। इस दौरान तुलसी का उपयोग किया जाता है। सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी का पत्ता तोड़कर खाने-पीने की चीजों में डाल देने से चीजें पवित्र हो जाती हैं और नकारात्मक प्रभावों को खत्म कर देती हैं।
सूतक काल के दौरान छोटे बच्चों, गर्भवती स्त्रियों और बुजुर्गों के लिये खान-पान में छूट होती है लेकिन बाकी लोगों के लिये सूतक काल का कडाई से पालन करना होता है। इस दौरान घर की ऐसी खाने-पीने की चीजें जो फेंकी नहीं जा सकती उन पर तुलसी के पौधे का एक एक पत्ता तोड़कर उन चीजों पर डाल देना चाहिये। तुलसी आमतौर पर हर घर में मौजूद होती है और अगर नहीं है तो बाजार में फूलवाले के पास आसानी से मिल जाती है।
तुलसी को विज्ञान और धार्मिक अनुष्ठानों में भी पवित्र माना गया है। तुलसी एंटी-बैक्टीरियल होती है यानि खानपान की चीजों के आसपास के वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया के प्रभाव को रोक देती है।
तुलसी का वैज्ञानिक नाम ऑसीमम सैक्टम होता है। सदियों से ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में तुलसी का उपयोग किया जाता है और इसके बारे में वेदो में भी बहुत विस्तार से बताया गया है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। घर के आंगन या बरामदे में अक्सर आप तुलसी का पौधा किसी गमले में लगा देख सकते हैं जिसकी पूजा की जाती है। फिल्मों में तुलसी की पूजा के कई दृश्य देखने मिल जाते हैं। हिंदी में मैं तुलसी तेरे आंगन की नाम की फिल्म ने किसी जमाने में धूम मचा दी थी।
करीब तीन फुट तक का तुलसी का पौधा आमतौर पर बारिश और जाड़े में फलता फूलता है और करीब तीन साल तक बना रहता है। इसके बाद इसकी उम्र खत्म हो जाती है। जब इसके पत्ते पीले पड़ने लगे और सूखने लगें तो तुलसी को हटा कर नया पौथा लगाना चाहिये।
कितने प्रकार की होती है तुलसी
काली तुलसी (ऑसीमम अमेरिकन)
मरुआ तुलसी ( ऑसीमम वेसिलिकम)
राम तुलसी या वन तुलसी या अरण्य तुलसी ( आसीमम ग्रेटिसिकम)
कर्पूर तुलसी (ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम)
ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम
ऑसीमम सैक्टम
ऑसीमम विरिडी
घर के गमलों में आमतौर पर तुलसी की दो प्रजातियां लगाई जाती हैं जिन्हें रामा और श्यामा कहा जाता है। रामा यानि गौरी के पत्तों का रंग हल्का होता है जबकि श्यामा के पत्तों का रंग काला होता है इसका उपयोग दवा के रूप में किया जाता है।
तुलसी की एक प्रजाति वन तुलसी भी होती है। यह शरीर से जहर के प्रभाव को खत्म करती है लेकिन इसे घरों में नहीं लगाते। मरूवक भी तुलसी की एक जाति है,लेकिन आमतौर पर यह पायी नहीं जाती है।
तुलसी का उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, पाइरिया आदि रोगों में किया जाता है। तुलसी हिचकी और पसली का दर्द दूर करती है। यह कफ और वात से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है।
शरीर में टॉक्सिंस बढ़ जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है। आजकल मेडिकल स्टोर्स में तुलसी के एक्सट्रैक्ट खूब बिकते हैं।

इस साल का आखिरी चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात 12 बजे को पार कर 29 अक्टूबर को तिथि पर रात 01 बजकर 06 मिनट पर शुरू होने वाला है और 1 घंटे 16 मिनट तक ग्रहण लगने के बाद 02 बजकर 22 मिनट पर खत्म हो जायेगा। इसका सूतक काल शुरू हो चुका है जो चंद्रग्रहण के खत्म होने के बाद ही समाप्त होगा।
Chandra Grahan 2023 में तुलसी क्यों है खास ?
सूतक काल दूषित होता है
सूतक काल से लेकर ग्रहण तक के समय को दूषित काल माना जाता है क्योंकि इस दौरान वातावरण में कई नकारात्मक तत्व होते हैं जिनका शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके लिये सदियों से एक उपाय को सर्वमान्य माना जाता है। इस दौरान तुलसी का उपयोग किया जाता है। सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी का पत्ता तोड़कर खाने-पीने की चीजों में डाल देने से चीजें पवित्र हो जाती हैं और नकारात्मक प्रभावों को खत्म कर देती हैं।
क्या करें
सूतक काल के दौरान छोटे बच्चों, गर्भवती स्त्रियों और बुजुर्गों के लिये खान-पान में छूट होती है लेकिन बाकी लोगों के लिये सूतक काल का कडाई से पालन करना होता है। इस दौरान घर की ऐसी खाने-पीने की चीजें जो फेंकी नहीं जा सकती उन पर तुलसी के पौधे का एक एक पत्ता तोड़कर उन चीजों पर डाल देना चाहिये। तुलसी आमतौर पर हर घर में मौजूद होती है और अगर नहीं है तो बाजार में फूलवाले के पास आसानी से मिल जाती है।
क्यों खास है तुलसी
तुलसी को विज्ञान और धार्मिक अनुष्ठानों में भी पवित्र माना गया है। तुलसी एंटी-बैक्टीरियल होती है यानि खानपान की चीजों के आसपास के वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया के प्रभाव को रोक देती है।
तुलसी के बारे में जानकारी
तुलसी का वैज्ञानिक नाम ऑसीमम सैक्टम होता है। सदियों से ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में तुलसी का उपयोग किया जाता है और इसके बारे में वेदो में भी बहुत विस्तार से बताया गया है। हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है। घर के आंगन या बरामदे में अक्सर आप तुलसी का पौधा किसी गमले में लगा देख सकते हैं जिसकी पूजा की जाती है। फिल्मों में तुलसी की पूजा के कई दृश्य देखने मिल जाते हैं। हिंदी में मैं तुलसी तेरे आंगन की नाम की फिल्म ने किसी जमाने में धूम मचा दी थी।
तुलसी की उम्र
करीब तीन फुट तक का तुलसी का पौधा आमतौर पर बारिश और जाड़े में फलता फूलता है और करीब तीन साल तक बना रहता है। इसके बाद इसकी उम्र खत्म हो जाती है। जब इसके पत्ते पीले पड़ने लगे और सूखने लगें तो तुलसी को हटा कर नया पौथा लगाना चाहिये।
कितने प्रकार की होती है तुलसी
काली तुलसी (ऑसीमम अमेरिकन)
मरुआ तुलसी ( ऑसीमम वेसिलिकम)
राम तुलसी या वन तुलसी या अरण्य तुलसी ( आसीमम ग्रेटिसिकम)
कर्पूर तुलसी (ऑसीमम किलिमण्डचेरिकम)
ऑसीमम वेसिलिकम मिनिमम
ऑसीमम सैक्टम
ऑसीमम विरिडी
घर में कौन सी तुलसी का पौधा लगाते हैं
घर के गमलों में आमतौर पर तुलसी की दो प्रजातियां लगाई जाती हैं जिन्हें रामा और श्यामा कहा जाता है। रामा यानि गौरी के पत्तों का रंग हल्का होता है जबकि श्यामा के पत्तों का रंग काला होता है इसका उपयोग दवा के रूप में किया जाता है।
तुलसी की एक प्रजाति वन तुलसी भी होती है। यह शरीर से जहर के प्रभाव को खत्म करती है लेकिन इसे घरों में नहीं लगाते। मरूवक भी तुलसी की एक जाति है,लेकिन आमतौर पर यह पायी नहीं जाती है।
तुलसी के गुण
तुलसी का उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, पाइरिया आदि रोगों में किया जाता है। तुलसी हिचकी और पसली का दर्द दूर करती है। यह कफ और वात से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है।
शरीर में टॉक्सिंस बढ़ जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है। आजकल मेडिकल स्टोर्स में तुलसी के एक्सट्रैक्ट खूब बिकते हैं।
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